NandiKeshwar Temple

संस्कारधानी से करीब 40 किमी दूर बरगीनगर में स्थित भगवान नंदिकेश्वर मंदिर से नर्मदा नदी की दूरी करीब 3 किमी है। इसके बावजूद मां नर्मदा को भगवान नंदिकेश्वर के दर्शन हमेशा होते हैं। पानी कम होने के बावजूद दर्शन में कोई व्यवधान नहीं होता। ग्वालटेकरी पर स्थित इस मंदिर का निर्माण मप्र शासन ने ग्राउंड लेवल से 399 मीटर ऊपर कराया था।

पूर्व में भगवान नंदिकेश्वर का प्राचीन मंदिर यहां से 12 किमी दूर मिड़की गांव में स्थित था। बरगी बांध के डूब क्षेत्र में आने के कारण मंदिर के तत्कालीन पुजारी ब्रह्मलीन स्वामी केशवानंद महाराज से अधिकारियों ने चर्चा की। तो उन्होंने 10 लाख रुपए मुआवजा लेने से इंकार करते हुए सरकार से मंदिर के बदले मंदिर निर्माण की मांग रखी थी। मप्र शासन ने 1982 से 1994 के बीच मंदिर का निर्माण कराया। 13 मई 1994 को अक्षय तृतीया के दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज की उपस्थिति में भगवान की नए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई। इसके पूर्व दो वर्ष तक टेकरी के नीचे अस्थायी मंदिर निर्माण कर भगवान नंदिकेश्वर भगवान का पूजन अर्चन किया जाता रहा। मान्यता के अनुसार नंदी महाराज की तपस्या से भगवान शंकर प्रकट हुए थे, इसलिए इनका नाम नंदिकेश्वर है।

325 सीढ़ियां व सड़क मार्ग भी - मंदिर का रखरखाव मप्र शासन के नर्मदा घाटी प्राधिकरण द्वारा किया जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 325 सीढ़ियां हैं। इसके अलावा वाहनों से भी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है, जिसके लिए करीब डेढ़ किमी की सड़क का निर्माण कराया गया था।

गर्भगृह में सबसे पहले नंदी महाराज, फिर भगवान नंदिकेश्वर, भगवान नागदेव के साथ विराजमान हैं। जो अवतरित प्रतिमाएं मानी जाती हैं। यहां मां नर्मदा और मां शारदा सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर में आने-जाने के लिए तीन द्वार हैं।