धर्म के संस्थापक
कहते हैं कि इस धर्म का कोई संस्थापक नहीं है, लेकिन हर काल में कई ऋषियों या भगवानों ने इस धर्म की स्थापना की है। प्रारंभ में अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा ने ज्ञान प्राप्त कर वेदों की ऋचाओं को रचा था। बाद में अन्य ऋषियों की ऋचाओं को भी वेदों में सम्मलित किया गया। श्रीकृष्ण तक इस धर्म के पूर्व में कई संस्थापक हुए हैं। आदि बौद्ध काल में शंकराचार्य और गुरु गोरखनाथ ने धर्म की पुन: स्थापना की थी। सृष्टि सिंद्धांत : हिन्दू धर्म में सृष्टि के दो सिद्धांत प्रचलित हैं। पहला वैदिक और दूसरा पौराणिक। वैदिक में यह सृष्ट पंचकोषों और आठ तत्वों वाली हैं। पंचकोष- 1.अन्नमय, 2.प्राणमय, 3.मनोमय, 4.विज्ञानमन और 5.आनंदमय। उक्त कोष में ही आठ अत्व है जैसे अनंत-महत्-अंधकार-आकाश-वायु-अग्नि-जल-पृथ्वी। प्रकृति से महत्, महत् से अहंकार, अहंकार से मन और इंद्रियां तथा पांच तन्मात्रा और पंच महाभूतों का जन्म हुआ। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार यह प्रकृति के आठ तत्व हैं। इन्हीं के आधार पर पुराणों में सप्तलोक का उल्लेख मिलता है।
सृष्टि सिंद्धांत
हिन्दू धर्म में सृष्टि के दो सिद्धांत प्रचलित हैं। पहला वैदिक और दूसरा पौराणिक। वैदिक में यह सृष्ट पंचकोषों और आठ तत्वों वाली हैं। पंचकोष-
- अन्नमय
- प्राणमय
- मनोमय
- विज्ञानमन
- आनंदमय
उक्त कोष में ही आठ अत्व है जैसे अनंत-महत्-अंधकार-आकाश-वायु-अग्नि-जल-पृथ्वी। प्रकृति से महत्, महत् से अहंकार, अहंकार से मन और इंद्रियां तथा पांच तन्मात्रा और पंच महाभूतों का जन्म हुआ। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार यह प्रकृति के आठ तत्व हैं। इन्हीं के आधार पर पुराणों में सप्तलोक का उल्लेख मिलता है।
ये सप्तलोक है- भूमि, आकाश और स्वर्ग, इन्हें मृत्युलोक या त्रैलोक्य कहा गया है, जहां उत्पत्ति, पालन और प्रलय चलता रहता है। इसे कृतलोक कहा गया है। उक्त तीनों लोकों के ऊपर महर्लोक है जो उक्त तीनों लोकों की स्थिति से प्रभावित होता है, किंतु वहां उत्पत्ति, पालन और प्रलय जैसा कुछ नहीं, क्योंकि वहां ग्रह या नक्षत्र जैसा कुछ भी नहीं है। उसके भी ऊपर जन, तप और सत्य लोक तीनों अकृतक लोक कहलाते हैं। अर्थात जिनका उत्पत्ति, पालन और प्रलय से कोई संबंध नहीं, न ही वो अंधकार और प्रकाश से बद्ध है, वरन वह अनंत असीमित और अपरिमेय आनंदपूर्ण है। श्रेष्ठ आत्माएं पुन: सत्यलोक में चली जाती हैं, बाकी सभी त्रैलोक्य में जन्म और मृत्य के चक्र में चलती रहती हैं। जैसे समुद्र का जल बादल बन जाता है, फिर बादल बरसकर पुन: समुद्र हो जाता है। जैसे बर्फ जमकर फिर पिघल जाती है।
संप्रदाय : धर्म के मूलत: 10 सम्प्रदाय है-
- शैव
- वैष्णव या भागवत
- शाक्त
- गणपत्य
- कौमारम
- स्मार्त
- नाथ
- वैदिक
- तांत्रिक
- संत मत
हिन्दू तीर्थ
चार धाम (बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी), द्वादश ज्योतिर्लिंग (सोमनाथ, द्वारका, महाकालेश्वर, श्रीशैल, भीमाशंकर, ॐकारेश्वर, केदारनाथ विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, रामेश्वरम, घृष्णेश्वर, बैद्यनाथ), 51 शक्तिपीठ, सप्तपुरी (काशी, मथुरा, अयोध्या, द्वारका, माया, कांची और अवंति (उज्जैन), कैलाश मानसरोवर, अमानाथ गुफा, वैष्णोदेवी, तिरुपति बालाजी, अयप्पा सबरीमाला, तिरुपति बालाजी |
धर्म की नदियां
- सिंधु
- सरस्वती
- गंगा
- यमुना
- नर्मदा
- कृष्णा
- कावेरी
- गोदावरी
- महानदी
- ब्रह्मपुत्र
- क्षिप्रा
- कुंभा (काबुल नदी)
- गोमती (गोमल)
- सरयू
- ताप्ती
- वितस्ता (झेलम)
- क्रुगु (कुर्रम)
- परुष्णी (रावी)
- शुतुद्री (सतलुज)