Jageshwar Nath (जागेश्वर नाथ)

Bandakpur ka Shiv Mandir Jageshwar Nath (जागेश्वर नाथ धाम बांदकपुर शिव मंदिर दमोह) जागेश्वरनाथ बांदकपुर

बुंदेलखंड के दमोह में स्थित तीर्थ क्षेत्र जागेश्वरनाथ धाम बांदकपुर में भगवान शिव अनादिकाल से विराजमान हैं। इनकी ख्याति मप्र तक सीमित न रहकर संपूर्ण भारत वर्ष में है। यही कारण है कि चारों धाम की यात्रा करने वाला इस तीर्थ के दर्शन किए बिना नहीं रहता। जहां पर प्रथम श्रीनाथ जी का यह स्वयंभूलिंग है। इनके दर्शन करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

श्री स्वरुपानंद जी सरस्वती महाराज जैसी महान विभूतियों को भी दर्शनमात्र से शिव लिंग की जागृति का आभास हो चुका है। सन 1972 से लेकर अब तक शिवलिंग की महिमा प्रतिष्ठा दिन दूनी रात चौगुनी फैलती जा रही है। यहां पर बसंत पंचमी से लेकर महाशिव रात्रि जैसे पर्वों पर भक्तों की भारी भीड़ मेला का रूप धारण कर लेती है। श्री महादेव जी के मंदिर से लगभग 31 मीटर की दूरी पर सामने ही एक दूसरा मंदिर है। महादेव के ठीक सामने इस मंदिर में माता पार्वती की प्रतिमा है, जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा सन 1844 ई में हुई थी। मंदिर के गर्भस्थल स्थल में ठीक श्री जागेश्वर नाथ जी महादेवजी के सामने माता पार्वती की मूर्ति विराजमान है। यह मूर्ति संगमरमर की है। माता की मूर्ति की दृष्टि ठीक जागेश्वरनाथ जी महादेव पर पड़ती है। इसमें अद्भुत कला के दर्शन होते हैं।

प्राचीन काल से ही बसंत पंचमी, शिवरात्रि के पर्वों पर लाखों की संख्या में कांवर में पैदल चलकर लाया गया नर्मदा मां का जल श्री जागेश्वरनाथ की पिंडी पर चढ़ाकर जलाभिषेक करते हैं। इसी कारण प्राचीन मान्यता है कि सवा लाख कांवर चढ़ने पर माता पार्वती एवं महादेव के मंदिरों के झंडे एक दूसरे के मंदिर तरफ झुककर आपस मिलकर अपने आप गांठ बंध जाती है। इन साक्षात चमत्कारों से अभिभूत श्रद्वालु महाशिव रात्रि पर्व पर भगवान शिव पार्वती के स्वयंवर का आनंद उत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। इसमें दमोह तीन गुल्ली से भगवान शिव की बारात लेकर हजारों शिव भक्त आते हैं। माता पार्वती के गांव रोहनिया में बादकपुर धाम से बारात जाती है।

महाशिव रात्रि के पर्व पर भगवान शिव के दूल्हा बनने पर विशेष श्रृंगार सुबह चार बजे से पूजन अभिषेक शुरू होता है। इसमें भगवान को दोपहर 12 बजे भोग अर्पण करने के बाद रात्रि 7 बजकर 30 मिनिट पर महाआरती व रात्रि 10 बजे से 3 बजे तक महाभिषक पूजन होता है। इसमें भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में उपस्थित रहते हैं।