Kashi Vishwanath Temple (काशी विश्वनाथ)

काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव का मंदिर

बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग काशी में है जिसे बाबा विश्वनाथ कहते हैं। काशी को बनारस और वाराणसी भी कहते हैं। शिव और काल भैरव की यह नगरी अद्भुत है जिसे सप्तपुरियों में शामिल किया गया है। दो नदियों 'वरुणा' और 'असि' के मध्य बसे होने के कारण इसका नाम 'वाराणसी' पड़ा।

गंगा नदी के तट पर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा मौजूद है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार एक बार श्रीहरि भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच इस बात को लेकर बहस हो गई कि कौन अधिक शक्तिशाली है। धीरे धीरे यह विवाद इतना बढ़ता गया कि भगवान शिव को मध्यस्थता करना पड़ा और उन्होंने एक विशाल ज्योर्तिलिंग का रूप धारण कर लिया।

इसके बाद उन्होंने ब्रह्मा जी और विष्णु जी से इसके स्रोत और ऊंचाई का पता लगाने के लिए कहा। इसे सुन ब्रह्मा जी अपने हंस पर सवार होकर इसके अंत का पता लगाने के लिए चल पड़े। वहीं दूसरी ओर श्रीहरि भगवान विष्णु गरुण पर सवार होकर ज्योर्तिलिंग के स्रोत का पता लगाने के लिए निकल पड़े। कहा जाता है कि कई युगों तक दोनों ज्योर्तिलिंग के स्रोत और अंत का पता लगाने की कोशिश करते रहे। अंत में विष्णु जी हार मानकर भगवान शिव के इस रूप के सामने नतमस्तक हो गए। वहीं दूसरी ओर ब्रह्मा जी ने अपनी हार को स्वीकार नहीं क‍िया और झूठ बोल देते हैं कि उन्होंने इस स्तंभ के अंत का पता लगा लिया है।

कहा जाता है कि इस स्तंभ से पृथ्वी के भीतर जहां भी भगवान शिव का दिव्य प्रकाश निकला था, वो 12 ज्योर्तिलिंग कहलाया। काशी विश्वनाथ मंदिर भी इन्हीं ज्योर्तिलिंगो में से एक है।