त्रेतायुग

वामन अवतार बौना : लघु मानव
परशुराम अवतार :शस्त्र प्रयोक्ता मानव
राम अवतार : समुदाय मे रहने वाला मानव

त्रेता युग की कालावधि 1296000 वर्ष होती है और इस युग में मनुष्य की आयु 10000 वर्ष होती है और मनुष्य की लंबाई लगभग 21 फुट होती है इस युग में पूण्य का प्रतिशत 75 प्रतिशत होता हैं और पाप की मात्रा 25% होती है इस युग में भगवान वामन, परशुराम,श्री राम ने जन्म लिया था |

त्रेता युग में भगवान ने वामन अवतार राजा बलि के घमंड को चूर करने के लिए लिया था जो कि एक महादानी थे उन्हें अपने आप पर बड़ा ही घमंड था तब भगवान राजा बलि की परीक्षा लेने के लिए वामन का अवतार लेकर राजा बलि के द्वार पर जा पहुंचे.राजा बलि द्वार पर वामन अवतार को देखकर बहुत ही प्रभावित हुए उनका आदर सत्कार किया और जब दान की बारी आई तो बामन अवतार भगवान ने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी |

इस पर राजा बलि कहने लगे कि यह तो बहुत कम है आप कुछ और बड़ा मांगो लेकिन वामन अवतार भगवान ने राजा बलि से केवल तीन पग जमीन ही मांगीभगवान ने अपने दो पैरों में राजा बलि के पूरे राज्य को नाप दिया ओर जब तीसरे पेर को नापने की बारी आई तो जगह ही नहीं बची थी.वामन अवतार भगवान के पूछने पर राजा ने तीसरा पेर अपने सिर पर रखने के लिए कह दिया इस तरह से राजा बलि का घमंड चूर हो गया.

परशुराम- भगवान परशुराम का जन्म जमदग्नि ऋषि के घर हुआ था ये भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं उन्होंने कई बार पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन कर दिया था वह शिव धनुष टूटने की आवाज सुनकर श्री रामचंद्र के स्वयंबर में भी पहुंचे थे जहां वह बहुत ही क्रोधित थे लेकिन श्री रामचंद्र ने उन्हें अपना असली रूप दिखाकर उन्हें शांत किया था | भगवान परशुराम महाभारत काल में भी देखने को मिलते है ,इन्होंने कर्ण को भी शिक्षा प्रदान की थी.

भगवान श्री राम- मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी का जन्म राजा दशरथ के यहां पर हुआ था इन्होंने अपने पिता की आज्ञा के लिए 14 बर्ष के लिए वनवास की यातनाएं सही थी जिस मां ने उन्हें वनवास दिया था वो उनसे भी बहुत प्रेम करते थे श्री रामचंद्र जी के चरित्र को देखकर हमे बहुत सीखने को मिलता है आज के युग में अगर उनके आदर्श को अपनाए तो हमारे देश में कलयुग में भी सतयुग नजर आएगा |